Sunday, October 19, 2008

कस्तूरी मृग

११ से अधिक औषधियों में काम आने वाली

और अपनी बेमिसाल खुशबू से अमीरों की शान

समझी जाने वाली सोने से भी महँगी कस्तूरी की

मांग अब भी अन्त्ररास्त्रिया बाज़ार में बनी हुई है.

प्रचलित नाम

अफगानिस्तान,पाकिस्तान,भूटान,बर्मा चीन,

भारत कोरिया रूस और वियतनाम में अब भी

कस्तूरी मृगो की पाँच प्रजातीय पाई जाती है।

इनमे हिमालय चेत्र की कस्तूरी मृग (मस्चार

क्रैसो गस्टर ज्युरोगार्टर ) ,अल्प्लें कस्तुरा

(मस्बस क्रैसास्टर),सैबेरियाँ कस्तूरी मृग

(मस्तुरे मासिव फेरुस)जंगली कस्तूरी मृग

(मस्वय ब्रिद्गेओरस्कि ) अवं काला कस्तूरी मरी (मस्चुर फुस्रस )

शामिल है.

जानकारी

बहुत कम लोगो को पता है की कस्तूरी मृग

हिरन के परिवार का नही है.अध्ययन से

पता चला है की यह प्राणी धरती में दो सौ

करोड़ वर्ष पहले से मौजूद है.पर इसके

बेमिसाल खुशबू वाले कस्तूरी के कारन

इनकी प्रजाति खतरे में है. अकेला जापान २७५

किलो कस्तूरी का आयत करता है.और चीन

सर्वाधिक २०० किलो का निर्यात करता है।

अंतररास्ट्रीय बाज़ार में कस्तूरी की कीमत

५०००० $ प्रति किलोग्राम तक पहुच गयी है.

उपयोगीता

कस्तूरी मिर्गी, दमा, हिस्टीरिया , निमोनिया ,
दिल की बीमारी जैसे दर्जनों रू में काम आता है.
कस्तूरी चोकलेटी रंग की होती है.और अंडाकार
थैली में द्रव्य के रूप में मिलती है.इसे सुखाकर
इस्तेमाल किया जाता है.
इसी कस्तूरी के कारन नर व् मादा दोनों मारे
जाते है.पर कस्तूरी तो केवल नर से ही मिलती है
वो भी साल भर के उमर के बाद.सामान्यतः एक
कस्तूरी मृग से ३० से ४५ ग्राम तक कस्तूरी प्राप्त
होती है पर यह मृग के उमर , आकर , रहन सहन ,
स्वस्थ्य से बढ़ भी सकती है.मादा मृग में कस्तूरी की थाली ही नही होती.

Saturday, October 18, 2008

बचाव के साधन

कस्तूरी के कई शत्रु है जैसे – शेर,चीते और

कई जंगल जानवर,पर सबसे बड़ा शत्रु
मानव हैं .

तस्करी ने बहुतायत में पाए जाने वाले इस
मृग को दुर्लभ बना दिया है.तस्करी का बहुत
बड़ा केन्द्र हांगकांग माना जाता है.कस्तूरी
मृगो के अस्तित्व पर संकट की गंभीरता को
देखते हुए “ इंटरनेशनल यूनियन फॉर
क्पोंजेर्वेशन ऑफ़ नेचर एंड नेचुरल रिसोर्सेस ”
ने इन्हे रेड डाटा बुक में शामिल किया है।
भारत सरकार ने वन्य जंतु संरक्चन अधिनियम
के तहत इनके शिकार पर रोक लगाने के साथ
ही चार नेशनल पार्क अवम पाँच कस्तूरी मृग
विहारों कीस्थापना की.लेकिन अब भी वे सुविधाए

उपलब्ध नही है.जिससे इनके जीवन की तत्काल
रक्चा हो सके


भारत सरकार :-इंडियन विल्ड लाइफ बोर्ड ने १९५२
में देश के उन १३ वन्य प्राणियो में कस्तूरी मृग को
शामिल किया जिनकी नसल धीरे -२ ख़तम हो रही है.

भारत सरकार


इंडियन वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने १९५२ में

देश के उन १३ वन्य प्राणियो में

कस्तूरी मृग को शामिल किया

जिनकी नसल धीरे -२ ख़तम हो रही है.

बोर्ड ने चेतावनी दी है की अगर इनके

बचाव के तत्काल प्रबंध न किया

आया तो यह सुन्दर प्राणी इस देश व्

धरती से विलुप्त हो जायेगा.